कुंए का असली मालिक कौन हैं?

एक बार की बात है, बादशाह अकबर के दरबार में एक व्यापारी रहता था। व्यापारी के पिता की मृत्यु के बाद उसके खेतों की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा। इसलिए, व्यापारी ने अपने खेतों के पास के कुएं को बेचने का फैसला किया और पैसे का इस्तेमाल पास की जमीन पर एक कारखाना खोलने के लिए किया। उसने कुआं एक किसान को बेच दिया।

कुछ दिनों बाद व्यापारी की चक्की चली गई और उसे एहसास हुआ कि उसे चक्की चलाने के लिए बहुत पानी की जरूरत है। उसने सोचा कि कुआँ बेचने में गलती हो सकती है। व्यापारी ने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और अगले दिन की प्रतीक्षा करने लगा। अगले दिन जब किसान कुएं से पानी भरने आया तो व्यापारी ने उसे रोक लिया और कहा कि उसने केवल कुआं खरीदा है, पानी नहीं। पानी पर उनका अधिकार नहीं था। किसान ने तर्क दिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

किसान सीधे बादशाह अकबर के दरबार में गया और मदद मांगी। बादशाह ने समस्या के समाधान के लिए बीरबल को नियुक्त किया। बीरबल ने समस्या को समझा और किसान को अगले दिन कुएँ पर आने को कहा।

दूसरे दिन जब किसान पानी भरने आया तो व्यापारी ने उसे फिर रोक लिया और कहा, “क्या तुम समझे नहीं? तुमने कुआं खरीदा है, पानी नहीं।” बीरबल भी मौजूद थे और उन्होंने व्यापारी से पूछा, “सर, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इस कुएं में पानी का मालिक कौन है?” व्यापारी ने उत्तर दिया, “मैंने कुआँ किसान को बेच दिया, लेकिन पानी मेरा है।”

बीरबल ने व्यापारी से अपना दावा साबित करने के लिए कहा, और व्यापारी ऐसा करने में असमर्थ रहा। तब बीरबल ने किसान से पानी के उपयोग के लिए व्यापारी को भुगतान करने के लिए कहा, और किसान सहमत हो गया। इस तरह बीरबल ने समस्या का समाधान किया और व्यापारी और किसान दोनों संतुष्ट हो गए।

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